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फर्डिनेंड मैगेलन का इतिहास | Ferdinand Magellan in Hindi

फर्डिनेंड मैगेलन पुर्तगाल के एक नाविक थे जिन्होंने सबसे पहले पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले समुद्री अभियान का नेतृत्व किया था।

यह अभियान 20 सितंबर 1519 को शुरू होकर 6 सितंबर 1522 को खत्म हुआ था। हांलाकि इस अभियान के दौरान ही मैगेलन की मृत्यु हो जाती है, किंतु उनके बचे हुए नाविक वापिस पुर्तगाल पहुँचने में सफल हो जाते हैं।

फर्डिनेंड मैगेलन का जन्म, परिवार और व्यवसाय
मैगेलन का जन्म 3 फरवरी 1480 को पुर्तगाल के एक धनी परिवार में हुआ था। उनके परिवार की शाही दरबार में अच्छी ख़ासी पहचान थी और मैगेलन ने पुर्तगाल के राजा रानी के लिए कई समुद्री यात्राओं और अन्य व्यापारिक काम किए थे।

सन 1505 में 25 साल के मैगेलन पुर्तगाली दल के साथ भारत आए थे। वे गोवा और इसके आसपास के इलाके में 8 साल तक रहे और इस क्षेत्र में पुर्तगाल की व्यापारिक और सैन्य स्थिति को मजबूत बनाने के लिए काम किया।

मैगेलन का अद्भुत विचार
फर्डिनेंड मैगेलन जिस रास्ते से भारत आए थे वो वास्को डी गामा द्वारा खोजा गया ‘Cape of Good Hope’ वाला रास्ता था जिसके जरिए यूरोप से भारत पहुंचने के लिए अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर काटना पड़ता था।

भारत से वापस पुर्तगाल लौटने पर फर्डिनेंड मैगेलन के मन में विचार आया कि अगर पृथ्वी गोल है तो यूरोप से पूर्वी प्रदेशों (भारत, चीन) में जाने के लिए पश्चिम से होकर भी जाया जा सकता है। उस समय तक कोलंबस के कारण अमेरिकी महाद्वीपों के बारे में पता चल चुका था और मैगेलन की योजना पश्चिम की ओर यात्रा कर अमेरिकी महाद्वीपों को पार करते हुए पूर्व की ओर पहुंचने की थी।

मैगेलन अपने इस विचार को लेकर पुर्तगाल के राजा-रानी के पास गए लेकिन उन्होंने मैगेलन के विचार को बेतुका मानते हुए इस यात्रा के लिए फंड और आदमी देने से मना कर दिया।

इसके बाद वो स्पेन के शाही घराने के पास गए। स्पेन के राजा चार्ल्स पांचवें मैगेलन को फंड और आदमी देने के लिए राजी हो गए।

ऐतिहासिक यात्रा शुरू होती है
सितंबर 1519 में फर्डिनेंड मैगेलन 5 जहाज़ों और 270 आदमियों के साथ पूर्वी-एशिया जाने वाला दूसरे रास्ता खोजने निकल पड़ता है।

सबसे पहले मैगलन का काफिला अटलांटिक महासागर से होते हुए दक्षिण अमेरिका की ओर बढ़ता है। इसके बाद वह दक्षिण अमेरिका के तट के साथ-साथ होते हुए दक्षिण की ओर बढ़ने लगते हैं। लेकिन दक्षिण की ओर बढ़ने के साथ ही कड़क सर्दी और खराब मौसम पूरे काफिले का जीना दूभर कर देता है।

इन दुश्वारियों के कारण कुछ नाविक मैगेलन के विरुद्ध विद्रोह करने की योजना बनाते हैं। इसका एक कारण यह भी होता है कि काफिले के ज्यादातर नाविक स्पेनिश होने के कारण पुर्तगाली मैगलन पर ज्यादा विश्वास नहीं करते थे।

विद्रोही सैनिक काफिले के तीन जहाज चुराने की कोशिश करते हैं। लेकिन मैगेलन उनकी से योजना को सफल नहीं होने देते। विद्रोही सैनिकों को पकड़कर मौत की सजा दे दी जाती है।

प्रशांत महासागर
दक्षिण की ओर बढ़ते हुए मैगेलन का काफिला चीली और अर्जेंटीना के छिछले सागर में पहुँचता है। इस छिछले सागर में पश्चिम की ओर बढ़ते हुए वह प्रशांत महासागर में पहुंच जाते हैं।

इस तरह से फर्डिनेंड मैगेलन अटलांटिक सागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाले रास्ते की खोज करते हैं। उन्होंने इसे ‘All Saints’ Channel’ नाम दिया था जबकि आज इसे ‘Straits of Magellan’ कहा जाता है।

मैगेलन ने नए खोजे सागर को ‘Pacifico’ को नाम देते हैं जिसका अर्थ होता है – ‘peaceful’ यानी के ‘शांतिमय’।

प्रशांत महासागर में पहुंचने पर क़ाफ़िले के सिर्फ 3 जहाज ही बचते हैं। जबकि बाकी बचे दो में से एक डूब जाता है और एक ग़ायब हो गया।

फर्डिनेंड मैगेलन को लग कि उन्हें सागर को पार करने में सिर्फ कुछ दिन ही लगेंगे। लेकिन उनका यह अनुमान गलत निकला। प्रशांत महासागर को पार करने में उन्हें पूरे 4 महीने लग जाते हैं जबकि रास्ते में खाने-पीने की सामग्री खत्म हो जाने के कारण उनका बुरा हाल हो जाता है। क़ाफ़िले के नाविक जहाज़ में मौजूद चूहे और लकड़ी का बुरादे को खा कर जैसे-तैसे अपना गुजारा करते हैं।

फर्डिनेंड मैगेलन की मृत्यु
काफी मुश्किलों के बाद काफिला Mariana islands पहुंच जाता है। इस तरह पश्चिम की ओर यात्रा कर पूर्व पहुंचने का मैगेलन का विचार सही साबित होता है।

लेकिन Mariana islands के बाद फिलीपींस पहुंचने पर उनका स्थानीय लोगों के साथ विवाद हो जाता है। युद्ध होता है जिसमें मैं मैगेलन समेत उनके 40 नाविक मारे जाते हैं ,जबकि बाकी के भागने में कामयाब हो जाते हैं।

यह घटना 27 अप्रैल 1521 को हुई थी और इस समय मैगेलन की उम्र 41 वर्ष थी।

स्पेन वापसी
1522 में 3 साल बाद मैगेलन के 270 में से बचे हुए 18 नाविक अफ्रीका के दक्षिण से होते हुए स्पेन पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं। इस तरह यह 18 लोग वह इंसान बनते हैं जिन्होंने पहली बार पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाने का कीर्तिमान बनाया। लेकिन उनका कप्तान फर्डिनेंड मैगेलन इस सुखद अंत को देखने के लिए अब इस दुनिया में नहीं था।

वापसी के समय Juan Sebastian del Cano (जुआन सेबेस्टियन डेल कैनो) ने काफिले की कमान संभाली थी।

वापसी के समय 5 में से 1 जहाज़ ही स्पेन पहुँचता है जिसका नाम Victoria था। यह जहाज़ 68000 किलोमीटर की लंबी यात्रा करता है।

हमें मैगलेन की इस यात्रा का विवरण यात्रा में शामिल Antonio Pigafetta (एंटोनियो पिगाफेटा) के लिखे गए विवरणों से लगता है। Antonio यात्रा की सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में बताता है जिसमें उनके द्वारा देखे गए अद्भुत समुद्री जीव और खराब मौसमी हालात शामिल हैं।

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