HealthWomen Care

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन क्या है? – What is scalp micropigmentation?

बाल झड़ने की समस्या से परेशान लोग इसके निदान के लिए अलग-अलग उपायों की तलाश में रहते हैं. वहीं नई-नई तकनीकों से हमेशा के लिए तो नहीं, लेकिन कुछ वक्त के लिए बालों को अलग लुक दिया जाता है. आज इस आर्टिकल में हम स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में समझने की कोशिश करेंगे. इस आर्टिकल के जरिए आप जान पाएंगे कि आखिर स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन होता क्या है और हेयर फॉल में यह किस प्रकार फायदेमंद है. साथ ही इसे करने से कुछ नुकसान होता है या नहीं और इस पूरी प्रक्रिया पर खर्चा कितना होता है.

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन क्या है?

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन एक तरह की कॉस्मेटिक प्रक्रिया है, जिसकी सहायता से बाल घने नजर आने लगते हैं. इस कॉस्मेटिक प्रक्रिया को हेयर टैटू (Hair tattoo) भी कहा जाता है. स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन की मदद से बाल झड़ने की वजह से स्कैल्प पर नजर आने वाले पैच या पतले बालों को घना दिखाया जा सकता है. यहां हम स्पष्ट कर दें कि इस प्रक्रिया से हेयर लॉस का इलाज नहीं किया जा सकता है.

डैंड्रफ की समस्या क्या है? डैंड्रफ के कारण

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन में एक छोटी व पतली सूई और रंग की मदद से स्कैल्प पर छोटे-छोटे डॉट्स बनाए जाते हैं. ये डॉट्स बालों को घना लुक देते हैं. ये डॉट्स स्थाई इंक से बनाए जाते हैं. अगर स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन को एक्सपर्ट द्वारा करवाया जाता है, तो स्कैल्प पर जहां कम बाल होते हैं, उसे छुपाना आसान हो जाता है. इतना ही नहीं अगर गंजेपन का सामना कर रहे लोग स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाते हैं, तो वो बज्ज कट स्टाइल में नजर आते हैं. यह प्रक्रिया नॉनइनवेसिव है, जिस कारण इसे करवाते वक्त सर्जरी या एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं होती है.

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने की प्रक्रिया क्या है?

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन को तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया है, जिसके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं –

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने से पहले की प्रक्रिया

प्रक्रिया को शुरू करने से पहले एक्सपर्ट निम्न बातों का ध्यान रखते हैं –

  • बालों और स्कैल्प को अच्छी तरह वॉश किया जाता है.
  • एक्सपर्ट स्कैल्प पर सबसे पहले मार्क बनाते हैं जहां उन्हें कलर करना है.
  • गंजे लोगों के स्कैल्प पर चेहरे, उम्र और सिर के साइज को ध्यान में रखते हुए हेयर लाइन बनाई जाती है.
  • अब उस कलर पिग्मेंट का चुनाव किया जाता है, जो चेहरे पर अच्छा लगे.
  • इसके बाद स्कैल्प पर नम्बिंग मेडिसिन लगाई जाती है, ताकि स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने वाले व्यक्ति को परेशानी न हो.
  • स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन के लिए छोटी और पतली सूई का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि दर्द न के बराबर हो.

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने के दौरान

जिस जगह पर टैटू बनाया जाना है, वहां एक्सपर्ट सूई की मदद से रंग को लगाते हैं. बालों की तरह प्राकृतिक लुक देने के लिए डॉट्स का आकार, कोण और गहराई अलग-अलग हो सकती है.

क्या है एलोपेसिया टोटलिस?

स्कैल्प के आकार के आधार पर तकरीबन 5 घंटे तक का समय लग सकता है. अधिकांश लोगों को कई हफ्तों के अंतराल पर 3 या इससे अधिक बार ट्रीटमेंट के लिए बुलाया जाता है. घने बालों का लुक देने के लिए हर ट्रीटमेंट में ज्यादा रंगों का इस्तेमाल किया जाता है.

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन के बाद की प्रक्रिया

इस ट्रीटमेंट के दौरान कोई सर्जरी या एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं होती है, इसलिए यह कराने वाला व्यक्ति अपना रोजमर्रा का काम तुरंत शुरू कर सकता है. स्कैल्प माइक्रोपिगमेंटेशन के बहुत कम दुष्प्रभाव होते हैं. वैसे इसे करवाने के बाद स्कैल्प पर कुछ लालिमा महसूस हो सकती है, जो कई घंटों तक बनी रहती है. ऐसे में सिर को ढकने के लिए स्कार्फ या टोपी का इस्तेमाल किया जा सकता है.

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने के फायदे

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने के निम्नलिखित फायदे हैं –

  • किसी तरह की सर्जरी नहीं की जाती है.
  • करवाने के दौरान ज्यादा दर्द महसूस नहीं होता है.
  • कम खर्च में बाल्डनेस या कम बालों की समस्या को दूर किया जा सकता है.

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने के नुकसान

स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करवाने के निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं –

  • कॉस्मेटिक पिग्मेंट्स से एलर्जी होना.
  • बिना स्टरलाइज की हुई सुई के इस्तेमाल से इंफेक्शन का खतरा हो सकता है.
  • कभी-कभी हेयर टैटू नैचुरल नहीं भी लग सकते हैं.

इन नुकसान से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –

  • स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन करने वाले एक्सपर्ट के पास इसे करने के लिए लाइसेंस हो.
  • स्कैल्प माइक्रोपिग्मेंटेशन के पहले और बाद की तस्वीरें जरूर देखें.
  • अगर एलर्जी की समस्या है, तो इसकी जानकारी अपने एक्सपर्ट को जरूर दें.

स्कैल्प माइक्रोपिगमेंटेशन के बाद रिकवरी में कितना वक्त लगता है?

स्कैल्प पर टैटू बनवाने के बाद कई दिनों तक निम्न प्रकार की गतिविधियों से दूर रहना पड़ सकता है –

What is traction alopecia? – ट्रैक्शन एलोपेसिया क्या होता है?

  • सिर को सूखा रखने के लिए नहाते समय शॉवर कैप पहनें. अपने बालों या स्कैल्प को तब तक न धोएं जब तक एक्सपर्ट न कहे.
  • भारी व्यायाम करने से बचना चाहिए.
  • गर्म पानी से न नहाएं या स्टीम रूम में न जाएं. ऐसा करने से सिर पर नमी जम सकती है.
  • स्कैल्प को धूप से बचाएं.
  • सिर पर पसीना न होने दें.

स्कैल्प माइक्रोपिगमेंटेशन का असर कब तक रहता है?

स्कैल्प माइक्रोपिगमेंटेशन आमतौर पर चार साल या उससे अधिक समय तक रह सकता है. स्कैल्प माइक्रोपिगमेंटेशन में उपयोग किए जाने वाले कॉस्मेटिक कलर स्थाई होते हैं, लेकिन टैटू बनाने में इस्तेमाल होने वाले करल से अलग होते हैं. इसलिए, कुछ सालों के बाद इनका रंग धीरे-धीरे कम होने लगता है.

डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?

यदि किसी को स्कैल्प माइक्रोपिगमेंटेशन के बाद निम्न प्रकार की समस्याएं हाें, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए –

  • इंफेक्शन की समस्या होना.
  • बुखार आना.
  • स्कैल्प पर पस बनना.
  • तेज दर्द महसूस होना.
  • स्कैल्प का लाल होना.
  • स्कैल्प पर सूजन आना.

बाल झड़ने की समस्या हो या गंजेपन की समस्या इसका अपने ऊपर नकारात्मक प्रभाव ना पड़ने दें. बेहतर होगा कि अपने बालों की सही देखभाल करें और हेल्दी डाइट लें. कभी-कभी मेडिकल कंडीशन की वजह से बाल झड़ने की समस्या या फिर गंजेपन की समस्या हो सकती है. इसलिए, अगर आप ऐसी किसी समस्या से परेशान हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें. डॉक्टर आपकी हेल्थ कंडीशन को ध्यान में रखते हुए आपको सही सलाह देंगे और इलाज करेंगे.

Related Articles

Back to top button